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नोटबंदी

मन की बात
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जब से मोदी जी ने #नोटबंदी का फैंसला लिया है आम जनता से ज़्यादा नेता परेशान है नेताओं का परेशानी तो समझ में आती है क्यूँकि मोदी जी ने इन नेताओं से नोट के साथ साथ वोट भी छीन लिए है इस लिए अब इनके द्वारा आम लोगों को भी भ्रमाया जा रहा है “जी देखो मोदी जी कहते थे काला धन आएगा और सबके खातों में पंद्रह पंद्रह लाख जमा हो जाएँगे। ”

चलो मान लिया ये और जुमला था अब कोई ये बताने का कष्ट करेगा ये सफ़ेद धन काला धन किसके राज में हुआ ? किसके राज में घोटाले हुए और भ्रष्टाचार बड़ा , देश में आज़ादी के बाद ज़्यादा समय किसकी सरकार रही क्यूँ नहीं भ्रष्ट लोगों पर लगाम लगाई ?

आज देश का सिस्टम इतना भ्रष्ट हो गया है लोग ये कहते हुए ज़रा भी शरम महसूस नहीं करते कि ” 100 में से 99 बेइमान फिर भी मेरा देश महान”

अब बात करते है काले धन की

काला धन माने जो धन वित्तीय प्रणाली में नहीं आ रहा कही लोगो की तिजोरियों में पड़ा सड़ रहा है ओर एेसे लोग कभी भी इसे बैंक में या मुखयधारा में नहीं लाना चाहते थे क्यूँकि इसका हिसाब देना पड़ेगा।

8 दिसंबर तक के रिकार्ड के मुताबिक़ शायद क़रीब साडे बारह लाख करोड़ के पुराने नोट बैंक में जमा हो चुके है आने वाले दिनों में कुछ ओर भी जमा होंगे। अब विरोधी पूछ रहे है कि काला धन कहा गया ?

सारा देश जानता है कि काला धन कुछ भ्रष्ट बैंकर्स और नटवर लालों की मदद से सफ़ेद होकर बैंकों में आ गया है बेईमानों ने कोई कसर नहीं छोड़ी काले धन को सफेद करने में , सवाल ये है कि जब हम जानते है तो क्या सरकार नहीं जानती होगी जिसने ये सारा सिस्टम बनाया है। सरकार को पहले इन भ्रष्ट लोगों पर कड़ी कार्यवाही करनी होगी ताकि आम लोग जो ये परेशानी झेल रहे है उनका विश्वास न टूटे।

देखिए शुरूआत हो चुकी है भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की इससे पहले सिर्फ़ वायदे हुए है पर कार्यवाही किसी ने नहीं की ॥

इसलिए विशवास रखिए हमारे अच्छे दिन आएँगे और इन घोटाले बाजो के बुरे दिन, हाँ कुछ दिन की दिक़्क़त परेशानी ज़रूर है

हाँ अब बात करते है कैशलेस इंडिया की अब भी कुछ लोग जो विभिन्न पार्टियों से संबंध रखते है ये अपनी पोस्टों में भ्रम फैला रहे है कि इंडिया के लोग इतने सयाने नहीं है कि वो डेबिट कार्ड या चैक या पे टी एम वैलेट से भूगतान कर सके।

मैं कहता हू क्यूँ नहीं कर सकते और रिकार्ड के मुताबिक़ इंडिया में सो करोड़ से ज़्यादा मोबाईल उपभोक्ता है ओर पचास करोड़ के क़रीब इंटरनेट यूज़र, जब लोग वटसऐप ओर फ़ेसबुक चला सकते है तो क्या डेबिट कार्ड नहीं यूज कर सकते ?

आख़िर कैशलेस होने का नुक़सान ही क्या है ?

और कैशलेस होने का मतलब ये नहीं है कि आप कैश नहीं रख सकते और न ही सरकार नोटों को बंद करने जा रही है कैशलेस होने का मतलब है कि लोग ज़्यादा से ज़्यादा मनी टरांजैकशन बैंकिंग माध्यम से करे ताकि पारदर्शिता रहे। इससे टैक्स कुलेकशन भी बडेगा । अभी हमारे देश में लगभग 3 करोड़ लोग ही ईंकमटैकस रिटर्न फ़ाईल करते है और उसमें भी लगभग 1.6 करोड़ लोग टैक्स नहीं भरते मतलब टैक्स फृी की कैटेगिरी में आते है जब कि ऐक अनुमान के मुताबिक़ इंडिया में इससे तीन से चार गुना कारे है। इसलिए सरकार को ये कड़ा निर्णय लेने को विवश होना पड़ा ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग टैक्स के दायरे में आ सके !

इसलिए मेरे भाईयों सरकार की मंशा पर सवाल न उठाए , हाँ ये ज़रूर है कि सरकार की तयारी पूरी नहीं थी जिससे आम लोगों या छोटे दूकानदारो को बहूत परेशानी हुई पर ज़रा सोचो किसी ने तो शुरूआत की है देश बदलने की !

इस लिए कृपा कर के हो सके तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों को डेबिट कार्ड या आनलाइन भूगतान के बारे में शिक्षित करे और भारतवर्ष को विकासशील से विकसित देश बनाने में अपना अमुल्य योगदान दे , क्यूँकि ये नेता आपके हो न हो ये देश तो अपना है।

जय हिंद जय जवान जय किसान

धीरज कटारिया

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